Beer companies face ‘unhappy hour’: रूस-यूक्रेन संकट बीयर इंडस्ट्री के मार्जिन को कम कर सकता है. जौ की कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं. शॉर्ट एंड मीडियम टर्म में जौ की वैश्विक कीमतों पर यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) का असर होने वाला है. अभी ये देखना बाकी है कि इस असर को कम करने के लिए बीयर कंपनियां क्या रिएक्ट करती हैं.

नई दिल्ली: गर्मियों का मौसम बीयर कंपनियों (Beer Companies) के लिए मुनाफा कमाने का सीजन होता है क्योंकि इस दौरान उनकी सेल सबसे ज्यादा होती है. भारत में गर्मियों का मौसम शुरू होने वाला है, लेकिन बीयर बनाने वाली कंपनियां टेंशन में हैं. इसकी वजह भी छोटी मोटी नहीं बल्कि ग्लोबल है. क्योंकि इस बिजनेस पर रूस-यूक्रेन का संकट (Russia-Ukraine Crisis) का साया मंडरा रहा है. हिंदुस्तान से हजारों किलोमीटर दूर बने युद्ध के हालातों की वजह से कई तरह की आशंका और अटकलें लग रही हैं.  

ग्लोबल चिंता

दरअसल रूस और यूक्रेन दोनों ही देश गेहूं (Wheat), जौ (Barley) जैसी फसलों के सबसे बड़े उत्पादकों में से हैं. गेहूं के मामले में रूस दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है वहीं यूक्रेन चौथे नंबर पर है. ग्लोबल एक्सपोर्ट में अकेले इन देशों की हिस्सेदारी 25% है. वहीं जौ के मामले में भी इन दोनों  की गिनती Top 5 एक्सपोर्टर्स में होती है. बीयर (Beer) बनाने में सबसे ज्यादा जौ का इस्तेमाल होता है. इसी तरह बियर बनाने में गेहूं का भी जमकर यूज होता है. रूस और यूक्रेन के तनाव के चलते जौ-गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में बाधा न आ जाए, बीयर कंपनियों को यही आशंका खाए जा रही है.

कच्चे माल का दाम बढ़ने का डर

इकोनॉमिक्स टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक रूस-यूक्रेन संकट बीयर इंडस्ट्री के मार्जिन को कम कर सकता है. वह कहते हैं, ‘जौ की कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं. शॉर्ट एंड मीडियम टर्म में निश्चित तौर पर जौ की वैश्विक कीमतों पर यूक्रेन का असर होने वाला है. अभी यह देखा जाना बाकी है कि इस असर को कम करने के लिए बीयर कंपनियां तुरंत रिएक्ट करती हैं और दाम बढ़ाने का निर्णय करती हैं या नहीं. कुछ मामलों में तो दाम सरकार के नियंत्रण में है.’ बेवरेज बिजनेस से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक इस सेगमेंट से जुड़ी किसी भी कंपनी के लिए 2022 का रूस-यूक्रेन संकट अप्रत्याशित झटका दे सकता है.

CIABC ने बनाई मामले पर नजर

कंफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (CIABC) के डाइरेक्टर जनरल विनोद गिरि भी इस संकट से चिंतित नजर आते हैं. वह कहते हैं, ‘हम स्थिति का लगातार मूल्यांकन कर रहे हैं और इस बात का आकलन कर रहे हैं कि भारत में Brewers पर इसका क्या असर हो रहा है. अगर मौजूदा संकट आगे तक खींचता है तो निश्चित ही यह चिंता का कारण बन सकता है.’ वहीं मोतीलाल ओसवाल ने एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि स्थानीय स्तर पर जौ खरीदने वाले Brewers भी इस संकट से प्रभावित होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन संकट के चलते जौ की वैश्विक आपूर्ति बाधित होगी, जिससे ग्लोबल मार्केट में इसकी कीमतें चढ़ेंगी. ऐसा होगा तो भारत में भी स्वाभाविक तौर पर जौ के दाम बढ़ जाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो पिछले 2 सीजन से कम बिक्री की मार झेल रही बीयर कंपनियों को लागत बढ़ने से कम मार्जिन का सामना करना पड़ सकता है.

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